हम इस अर्थ प्रधान समय मे गोसेवा कैसे करे
हम गोसेवा को भर स्वरूप से नही आपितू भावसे करणे का सूझाव प्रदान करते हे . हम आपणे दैनंदिन कार्यक्रम गो को स्थान प्रदान कर बहुत उपयोगी व सुंदर गो सेवा कर सकते हे . और अन्य मित्रा व रिश्तेदार को भी प्रोस्तहित कर सकते हे.
गाय को पहिली रोटी खिलाकर
हम शास्त्रो मे वार्णित विधान के अनुसार पहली रोटी गाय को खिलाकर गृहस्थोचित यज्ञ कर सकते हे . पर समस्या आती हे की शहारोमे गाय का दर्शन भी नही हो पाते हे. तो पहली रोटी कैसे खिलाई जाए. इसका समाधान अनुभवी संत इस तरह बताते हे की हम प्रतिदिन अन्न ग्रहण करणे से पहले सामर्थ्यानुसार कुछ रुपये गो के निमित्त निकालकर गो सेवा करे. कुछ दिन, माह, व वर्ष मे जब तीर्थाटन या यात्रा पर जाना हो तो गोशाला जैसे किसी भी गो सेवी गोशाला मे उस द्रवको भेटकर हम यथेष्ट गोसेवा कर सकते हे.
आहार विहार सयमित कर
हमारे समाज मे आहार पर नियंत्रण समाप्त प्राय हो चला हे. अब हममे से बहुत से लोग गुटखा, तंबाखू, पान, सुपारी, बिडी, सिगरेट, भांग , व शराब जैसे मादक द्रव्यों का सेवन करते हे. जिससे शारीरिक हानी तो होती हे साथ ही आर्थिक हानी का भी सामना करना पडता हे. हम अपने व्यसनमे कमी करके उस पैसे से गो सेवा कर सकते हे. उदाहरणत: हम प्रतिदिन व्यसन मे 10 रुपये का खर्चा करते हे तो हम धीरे धीरे अभ्यास प्रारंभ करे.
बच्चों को जेब मे से बचाने की आदत डालकर
हम बच्चों को जेब खर्च के लीये पैसा देते ही हे ऊनको गोसेवा के प्रती प्रोसाहित कर काम से काम 1 रुपये प्रतिदिन गो के निमित्त बचाने की आदत डालकर बच्चों के संस्कार गठन करते हुये गोसेवा कर सकते हे.
अपने परिवार उत्सवो मे गो को स्थान देकर
हमरे परिवारोमे उत्सव तो होते ही हे जैसे की विवाह की सालगिराह, बच्चों का जन्म दिन आदि उत्सवो मे खर्च होणे वाले धन का एक हिस्सा गो सेवा मे लगाकर अपने उत्सव को संस्कृतिक व आध्यात्मिक स्वरूप प्रदान कर सकते हे .